उदयपुर
प्राचीन नाम :- किण, गिरवा, मुम्दाबाद, शिवी
अन्य स्थानो के प्राचीन नाम :
★ आघाटपुर, धुलकोट – आहड़ सभ्यता
★ ढेबर – जयसमंद
★ योगिनीपट्टन – जावर
★ देशहरो – जरगा व रागा की पहाड़ीयां
उपनाम :- राजस्थान का कश्मीर, सैलानियो का स्वर्ग, पूर्व का वैनिस, झीलो की नगरी, भीलो की नगरी, फांउटेन व मांउटेन का शहर, एशिया का वियाना, राजस्थान की जिंक नगरी व वेनिस ऑफ द ईस्ट
अन्य स्थानो के उपनाम:-
★राजस्थान का विंडसर महल – राजमहल
★ मेवाड़ का खजुराहो – जगत
★ राज्य की प्राचीन ताम्र नगरी – आहड़
परिचय
● 1559 मे महाराणा उदयसिंह द्वारा उदयपुर की स्थापना की गई।
● उदयपुर 1948 तक मेवाड़ की राजधानी रहा। इससे पहले चितौड़ मेवाड़ की राजधानी था।
● नागदा मेवाड़ की प्राचीन राजधानी है जहां सास बहु के मन्दिर है।
● यहां का प्रसिद्ध नृत्य भवाई, रण, गैर व हरणो है।
● यहां स्थित जयसमंद झील राज्य की सबसे बड़ी व कृत्रिम मीठे जल की झील है।
● राज्य की सबसे बड़ी सीसे जस्ते की खान जावर भी यही है। यहां की जरगा व रागा पहाड़ीया वर्ष भर हरी भरी रहने के कारण देशहरो कहलाती है।
● मेवाड़ राजस्थान की सबसे प्राचीन रियासत है जिसकी स्थापना 565 ईस्वी मे गुहिल ने की थी।
● सबसे पुराना राजवंश भी मेवाड़ है जिसकी स्थापना 566 ई. मे गुहा दितीय ने की थी।
● मेवाड़ के प्रसिद्ध नृत्य भवाई, साद व वेरिहाल है।
● मेवाड़ के स्वामी एकलिंग जी माने गए है।
● यहां 1958 से राजस्थान साहित्य अकादमी स्थापित है।
● यह राज्य का सर्वाधिक वनाच्छादित जिला है।
● माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान भी उदयपुर मे है।
● राजस संघ उदयपुर मे स्थित है।
● राज्य का पहला डे केयर सेन्टर व पहला हुम्न एनॉटामी पार्क-नारायण सेवा संस्थान उदयपुर मे है।
● उदयपुर की आकृती ऑस्ट्रेलिया के समान है।
● यहां घोड़ा खोज सिंचाई परियोजना, गुलाब बाग व महाराणा प्रताप कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय प्रमुख है।
स्थान विशेष
● पिछोला झील – राणा लाखा के काल मे एक बनजारे ने इस झील का निर्माण किया। इस झील मे जगनिवास महल जगमन्दिर महल बने है।
● शिल्पग्राम – पहला शिल्पग्राम उदयपुर शहर के फतहसागर झील के पास बनाया पहाड़ीयों में बसाया गया है। यह एक कृत्रिम गांव है जिसका उद्देश्य लोगो को एक दुसरे की कला व संस्कृती से परिचित करना है।
● जयसमंद/ ढेबर झील – जयसिंह द्वारा निर्मित ताजे पानी की दुसरी सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। पहली सबसे बड़ी झील पंजाब की गोविन्द सागर है।
● आहड़ व गिलुण्ड – बनास व आहड़ नदियों के किनारे स्थित सिंधु सभ्यता के समकालीन व ताम्रयुगीन सभ्यताओ के अवशेष मिले है।
● फुलवारी की नाल – यह एक अभ्यारण्य है जहां से मानसी-वाकल जल सुरंग निकलती है। यह मानसी-वाकल नदीयो का उद्गम स्थान है।
● एकलिंगजी का मन्दिर – यह कैलाषपुरी मे स्थित है जिसे बापारावल ने 734 ई. मे बनवाया
● ऋषभदेव जी का मन्दिर – यह धुलेव कस्बा जो कोयल नदी के पास है मे है।
● राजमहल – पिछोला झील के तट पर बने इस महल को इतिहासकार फर्ग्युसन ने राजस्थान का विण्डसर महल की संज्ञा दी है।
● सहेलियों की बाड़ी – महाराणा संग्राम सिंह दितीय ने इसका निर्माण व फतेहसिंह ने इसका पुनः निर्माण करवाया। यह महल राजकुमारीयों के लिए बनवाया गया था।
● बागौर का हवेली संग्रहालय – पिछोला के किनारे 18 वी सदी मे ठाकुर अमरचन्द ने इसका निर्माण करवाया।
● जगदीश मन्दिर – जगत सिंह प्रथम द्वारा 1651 में निर्मित यह मन्दिर स्वप्न संस्कृती से बना है इसलिए इसे सपनो से बना मन्दिर भी कहते है।
● गोगुंदा – यहां प्रताप का राज्याभिषेक हुआ था। यह प्रताप की पहली राजधानी था। यहां लौह कालीन सभ्यता के अवशेष मिले है। यह पन्ना खनिज क्षेत्र है।
● फतेहसागर झील – यहां पर मोती सागर झील, सौर वेद्यशाला व सहेलियो की बाड़ी प्रमुख स्थान है।
● पिछोला झील – यहां के मुख्य स्थान जगमन्दिर व जयनिवास महल, सिटी पैलेस, कृष्णा विलास महल, मोती महल, मानक महल, दिलखुश महल, राजआंगन महल व नटनी का चबुतरा है।
● झामर कोटड़ा – यहां राज्य का प्रथम कामर्षियल बॉयोडीजल रिफायनरी है, यहां राजस्थान स्टेट मिनरल्स एण्ड माईन्स ने रतनजोत से डीजल बनने का पावर प्रोजेक्ट शुरू किया है।
● चांवड – यह महाराणा प्रताप की राजधानी थी व यही बाड़ोली मे उनकी छतरी भी है।
● ऋषभदेव – यहां केसरियानाथ जी का मन्दिर है व यह एस्बेस्टोस खनिज का क्षेत्र भी है।
● सलम्बर – यह तांबा खनिज क्षेत्र है व यहां हाड़ी रानी का महल है।
● नाथरा की पाल – यह लौह अयस्क खनिज का प्राप्ति स्थल है।
● जावर – यह राज्य का चांदी प्राप्ति का एकमात्र स्थल है।
● गिरवा – मछला मगरा के मध्य स्थित तश्तरीनुमा क्षेत्र जिसमे उदयपुर बसा है।
● मछला मगरा – उदयपुर के चारो और स्थित मछलीनुमा आकार की पहाड़ीयां ।
● डबोक – उदयपुर का अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा।
नदी विशेष
★ साबरमती नदी – इसका उदगम गोगुंदा की पहाड़ीयो मे स्थित झाड़ोल तहसील के पदराला गांव की पहाड़ीयो से हुआ है यह झाड़ोल व फुलवारी की नाल के मध्य पांच सरिताओ मे विभक्त होती है।
● यहां बनी देवास सुरंग राज्य की सबसे लम्बी जल सुरंग है। जो 11.5 कि.मी. लम्बी है। इसकी सहायता से उदयपुर की झीलो को जल दिया जाता है।
★ सोम नदी – इसका उदगम बाबलवाड़ा जंगल, बीछामेड़ा पहाड़ी, फुलवारी की नाल अभ्यारण्य मे होता है। उदयपुर में इस नदी पर सोमकागदर बांध है।
★ वाकल नदी – इसका उद्गम गोगुंदा तहसील के गोरा नामक स्थान से होता है।
★ बेड़च नदी – इसका उद्गम गोगुंदा पहाड़ी से होता है तथा यह बंगाल की खाड़ी मे अपना जल गिराती है।
होटल आर.टी.डी.सी. होटल – कजरी व गवरी
वन्य जीव अभ्यारण्य – जयसंमद अभ्यारण्य, फुलवारी की नाल, सज्जनगढ अभ्यारण्य व कुंभलगढ अभ्यारण्य
कृषि विशेष-
मण्डी– लघुवन उपज मण्डी,सर्वाधिक क्षेत्रफल – अदरक व मक्का, सर्वाधिक उत्पादन- अदरक, मक्का व आम।
उद्योग-
उदयपुर कॉटन मील – सुती वस्त्र उद्योग
वनस्पति घी कारखाना
हिन्दुस्तान जिंक लि. देबारी – यहां रसायनिक खाद का उत्पादन किया जाता है।
जिला विशेष
➨राजस्थान में सर्वाधिक जनजातियां उदयपुर मे ही है।
➨राजस्थान में सर्वाधिक गायें उदयपुर मे ही पाई जाती है।
➨अरावली का सर्वाधिक विस्तार उदयपुर मे ही है।
➨राजस्थान मे भैंस प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र वल्लभनगर उदयपुर मे है।
➨राजस्थानी भाषा ग्रंथ अकादमी उदयपुर मे है।
➨उदयपुर के निकट ही आहड़ सभ्यता विकसित हुई थी।
➨यहां सर्वाधिक भील पाये जाते है।
➨यहां सर्वाधिक मात्रा में लकड़ी के खिलौने मिलते है।
➨अरावली का सर्वाधिक विस्तार उदयपुर मे ही है।
➨राजस्थान मे भैंस प्रजनन एवं अनुसंधान केन्द्र वल्लभनगर उदयपुर मे है।
➨राजस्थानी भाषा ग्रंथ अकादमी उदयपुर मे है।
➨उदयपुर के निकट ही आहड़ सभ्यता विकसित हुई थी।
➨यहां सर्वाधिक भील पाये जाते है।
➨यहां सर्वाधिक मात्रा में लकड़ी के खिलौने मिलते है।