राजस्थान के प्रमुख दुर्ग
(Major Forts of Rajasthan)

राजस्थान के प्रमुख दुर्ग

तारागढ़ दुर्ग
(Taragarh Fort)
✔️ यह गिरी दुर्ग है । इस दुर्ग का निर्माण 1354 ई. में बूंदी के राव देवा के वंशज राव बर सिंह द्वारा करवाया गया
✔️ यह किला 1426 फीट ऊँचे पर्वत शिखर पर 5 मील के क्षेत्र में फैला है ।
✔️ इसके चारों ओर 3-3 परकोटे स्थित है । धरती से देखने पर यह आकाश के तारे के समान दिखाई देने के कारण इसका नाम तारागढ़ पड़ा ।
✔️ यहां गर्भगुंजन तोप व भीमबुर्ज स्थित है ।
तारागढ़ दुर्ग की अधिक जानकारी के लिए- click here
नोट :- “जंगल बुक” के लेखक रूडयार्ड किपलिंग इस दुर्ग में ठहरे थे ।
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बीकानेर दुर्ग
(Bikaner Fort)
✔️ यह धान्वन दुर्ग की श्रेणी में आता है । इस किले की नींव राव बिकाजी द्वारा 1588 ई. में रखी गई जो एक ऊची चट्टान पर स्थित है जो बीकाजी की टेकरी कहलाती है ।
बीकानेर दुर्ग की अधिक जानकरी के लिए- click here
✔️ वर्तमान भव्य बीकानेर दुर्ग का निर्माण 1594 में नरेश रायसिंह द्वारा करवाया यह लाल पत्थरों से बना हुआ है ।
✔️ इस दुर्ग में हिन्दु व मुस्लिम कला शैलियों का सुन्दर समन्वय है ।
✔️ यह दुर्ग चतुर्भुजाकृति का बना हुआ है । इसमें समान दुरी पर 37 विशाल बुर्ज स्थित है व किले के चारों ओर गहरी खाई बनी हुई है ।
✔️ किले के पूर्व प्रवेशद्वार को कर्णपोल तथा पश्चिमी प्रवेश द्वार को चांदपोल कहा जाता है ।
✔️ यह दुर्ग चतुर्भुजाकृति का बना हुआ है । इसमें समान दुरी पर 37 विशाल बुर्ज स्थित है व किले के चारों ओर गहरी खाई बनी हुई है ।
✔️ किले के पूर्व प्रवेशद्वार को कर्णपोल तथा पश्चिमी प्रवेश द्वार को चांदपोल कहा जाता है ।
महत्वपूर्ण तथ्य :-
✔️ करौली जिले में स्थित मण्डरायल दुर्ग को ग्वालियर दुर्ग की कुंजी कहते है ।
✔️ जालौर दुर्ग की कुंजी सिवाना दुर्ग को कहते है ।
✔️ करौली जिले में स्थित तिमनगढ़/त्रिभुवनगढ़ दुर्ग का निर्माण त्रिभुवन पाल द्वारा करवाया गया । यह दुर्ग कुख्यात मूर्ति तस्कर वामन नारायण घीया की शरण स्थली रहा है ।
✔️ तिमनगढ़ दुर्ग (करौली) को राजस्थान का इस्लामाबाद भी कहा जाता है|
✔️ भूमगढ़ दुर्ग राज्य के टोंक जिले में स्थित है, जबकि कोटड़ा दुर्ग बाडमेर जिले में है । ऊँटागिर का दुर्ग राज्य के करौली जिले में स्थित है, जबकि काकोंड़ का दुर्ग टोंक जिले में स्थित है ।
✔️ एकमात्र काँच का दुर्ग झुन्झुनु में स्थित है ।
✔️ करौली जिले में स्थित मण्डरायल दुर्ग को ग्वालियर दुर्ग की कुंजी कहते है ।
✔️ जालौर दुर्ग की कुंजी सिवाना दुर्ग को कहते है ।
✔️ करौली जिले में स्थित तिमनगढ़/त्रिभुवनगढ़ दुर्ग का निर्माण त्रिभुवन पाल द्वारा करवाया गया । यह दुर्ग कुख्यात मूर्ति तस्कर वामन नारायण घीया की शरण स्थली रहा है ।
✔️ तिमनगढ़ दुर्ग (करौली) को राजस्थान का इस्लामाबाद भी कहा जाता है|
✔️ भूमगढ़ दुर्ग राज्य के टोंक जिले में स्थित है, जबकि कोटड़ा दुर्ग बाडमेर जिले में है । ऊँटागिर का दुर्ग राज्य के करौली जिले में स्थित है, जबकि काकोंड़ का दुर्ग टोंक जिले में स्थित है ।
✔️ एकमात्र काँच का दुर्ग झुन्झुनु में स्थित है ।
माण्डलगढ़ दुर्ग
(Mandalgarh Fort)
✔️ राज्य के भीलवाड़ा जिले में स्थित इस दुर्ग के निर्माण के बारे में प्रमाणिक जानकारी का अभाव है ।
✔️ माना जाता है कि चानणा गुर्जर द्वारा इस दुर्ग का निर्माण करवाया गया । इस दुर्ग की आकृति कटोरेनुमा अथवा मण्डलाकृति है ।
✔️ यह दुर्ग बनास, बेड़च तथा मेनाल नदीयों के त्रिवेणी संगम पर स्थित है।
✔️ इस दुर्ग में सागर, सागरी नामक दो तालाब स्थित है । इस दुर्ग में पाताल तोड़ कुए स्थित है ।
मांडलगढ़ दुर्ग की अधिक जानकारी के लिए- click here
✔️ इस दुर्ग में उडेश्वर तथा जलेश्वर दो मन्दिर स्थित है ।
✔️ इस दुर्ग में राणा सांगा का समाधि स्थल स्थित है ।
सोजत दुर्ग
(Sojat Fort)
✔️ राज्य के पाली जिले में स्थित यह किला नानी सरड़ी की पहाड़ी पर स्थित है ।
✔️ यह दुर्ग सूकड़ी नदी के तट पर स्थित है ।
✔️ माना जाता है कि राव जोधा द्वारा बनवाया गया था ।
कुचामन दुर्ग
(Kuchaman fort)
✔️ राज्य के नागौर जिले में स्थित इस दुर्ग का निर्माण जालिम सिंह द्वारा करवाया गया ।
✔️ यह एक गिरी दुर्ग है ।
चौमु का किला
(Chaumu Fort)
✔️ जयपुर जिले में स्थित इस दुर्ग को चौमुहा गढ़ तथा धारधार गढ़ के नाम से भी जाना जाता है ।
✔️ इस दुर्ग का निर्माण 1597 से 1599 के मध्य यहां के ठाकुर कर्ण सिंह द्वारा करवाया गया ।
चुरू का किला
(Churu Fort)
✔️ यह दुर्ग चुरू जिले में स्थित है ।
✔️ बीकानेर के महाराजा सुरत सिंह तथा यहां के ठाकुर शिव सिंह के मध्य हमेशा आपसी विवाद रहा।
✔️ सुरत सिंह ने जब इस दुर्ग पर आक्रमण किया तो इस दुर्ग में गौला बारूद खत्म हो जाने पर अपनी आजादी तथा अस्मिता की रक्षा के लिये दुश्मन पर चाँदी के गोले दागे । ऐसा करने वाला यह विश्व का एकमात्र दुर्ग है ।
नाहरगढ़ दुर्ग
(Nahargarh Fort)
✔️ नाहरगढ़ दुर्ग का निर्माण जयपुर में 1734 में तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया।
✔️ नाहर सिंह भौमिया के नाम पर इस दुर्ग का नामकरण नाहरगढ़ दुर्ग रखा गया ।
✔️ सवाई जयसिंह ने अपनी राजधानी की सुरक्षा की दृष्टि से इस दुर्ग का निर्माण करवाया ।
✔️ यह एक गिरी दुर्ग है ।
✔️ इस दुर्ग में महाराजा माधोसिंह प्रथम ने अपनी 9 पासवान रानियों के लिये एक जैसे 9 महलों का निर्माण करवाया
✔️ इस दुर्ग को सुदर्शनगढ़ तथा सुलक्ष्मणगढ़ नाम से भी जाना जाता है ।
✔️ इस दुर्ग में सर्वाधिक राजप्रसादों का निर्माण राम सिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया ।
भैसरोड़गढ़ दुर्ग
(Bhaisrodgarh Fort)
✔️ चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित यह जल दुर्ग है, यह चम्बल व बामनी नदीयों के संगम पर स्थित है ।
✔️ इसे राजस्थान का वैल्लोर भी कहते है ।
✔️ इस दुर्ग का निर्माण भैसा शाह नामक व्यापारी व रोड़ा चारण ने मिलकर करवाया था ।
बयाना दुर्ग
(Bayana fort)
✔️ उपनाम – विजय मन्दिरगढ़, बाणसुर दुर्ग, बादशाह दुर्ग, विजयमड़ार आदि है ।
✔️ इस दुर्ग का नाम विजयगढ़ राजा विजयपाल के नाम से इसका नामाकरण हुआ |
✔️ इस दुर्ग के भीतर एक पत्थर की लाट स्थित है, जिसे भीमलाट कहते है | लाल पत्थरों से निर्मित इस लाट को उषा लाट भी कहते है । यह एक आठ मंजिला स्तम्भ है ।
✔️ बड़गुर्जर वंश के राजा लक्ष्मण की रानी चित्रलेखा ने 951 ई. में बयाना का उषा मन्दिर बनवाया था ।
✔️ इस दुर्ग के भीतर समुद्रगुप्त द्वारा निर्मित एक विजयस्तम्भ भी स्थित है । यह राज्य का प्रथम विजयस्तम्भ है । इस दुर्ग के भीतर सन् 1565 में सराय “सादूल्ला” मुस्लिम स्थापत्य कला का उदाहरण है ।
✔️ उषा मस्जिद, लोदी मीनार, अकबरी छतरी तथा जहांगिरी महल महत्वपूर्ण है |