➔ उपनाम – चन्द्रावती, देवडावटी, अर्बुदांचल व भौमत।
➔ संस्थापक – सहसमल।
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प्राचीन काल मे यह क्षेत्र अर्बुद प्रदेश के नाम से जाना जाता था। कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार सिरोही का मुल नाम शिवपुरी था। सिरोही की स्थापना 1425 मे देवडा राजा शिवभान के पुत्र सहसमल के द्वारा की गई। सिरोही को गोण्डवाना लैंड क्षेत्र मे माना जाता है। 26 जनवरी 1950 को सिरोही का विभाजन कर आबु व देलवाडा तहसील को बम्बई प्रांत मे मिलाया पर 1 नवंबर 1956 को दोनो तहसीले वापस राजस्थान मे मिला ली गई। तभी से यह क्षेत्र जोधपुर संभाग मे आता है।
➤ माउंट आबु – इसे राजस्थान का शिमला कहा जाता है। यहां अरावली कि सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर है। इसे राज्य की पहली नगरपालिका होने का गौरव प्राप्त हैं। राजस्थान के राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन अवकाश यही पर होता है। यह सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र है । यहां जुन माह मे ग्रीष्म महोत्सव व दिसम्बर माह मे शीत महोत्सव का आयोजन होता है। यह प्रथम इको फ्रेजाइल जोन भी है। यहां केंद्रीय रिर्जव पुलिस बल की आन्तरिक सुरक्षा अकादमी भी है। यहां पर माउंट आबु अभ्यारण्य है जो जंगली मुर्गो के लिए जाना जाता है। यहीं पर ब्रह्म कुमारी आश्रम व विश्वविद्यालय है। यहां के वशिष्ठ मन्दिर व अर्बुदा देवी/अधर देवी भी प्रमुख दर्शनीय स्थल है। राजस्थान मे सबसे पहले सेब की खेती यहीं शुरू की गई।
➤ ओर गांव – यहां विट्ठल भगवान का मन्दिर है।
➤ उडिया पठार – यह राज्य का सबसे ऊँचा पठार है।
➤ वसन्ती दुर्ग – महाराणा कुम्भा द्वारा निर्मित
➤ रामपुर – यहां बायोमास संयंत्र स्थापित किया गया है।
➤ बेल का भगरा – यह वोलेस्टोनाइट खनिज क्षेत्र है।
➤ रेवदर – यहां सोर ऊर्जा संयंत्र है तथा टंगस्टन खनिज क्षेत्र है।
➤ अचलगढ – यहां महाराव मानसिंह की छतरी है अचलेश्यर महादेव का मन्दिर, भंवराथल मंदाकिनी कुण्ड, सावन भादो झील, कफूर सागर व ओखारानी का महल है।
➤ भाकर – सिरोही की पहाडीयो का स्थानीय नाम व उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन यहां स्थित है।
➤ ब्रह्मखड्ड – यहां शिवलिंग न होकर शिव के पैर के अंगूठे के रूप मे पुजनीय स्थान है।
➤ गुरूशिखर – अरावली की सबसे उंची चोटी जिसे कर्नल जैम्स टाड ने सन्तो का शिखर नाम दिया है । इस पर भगवान विष्णु का मन्दिर है। इसकी ऊंचाई 1722 मी. है।
➤ सारणेश्यर पशु मेला – सारणेश्वर जी महादेव के मन्दिर मे भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से दशमी तक भरने वाले इस विशाल पशु मेले में अन्य राज्यो के अनेक व्यापारी आते है।
➤ दिलवाड़ा जैन मन्दिर – ये पांच मन्दिरो का समुह है। यहां के मन्दिर 11 वीं से 13 वीं सदी के मध्य निर्मित है। इस मन्दिर का निर्माण विमलशाह ने 1032 ईं. मे करवाया। यह आदिनाथ जैन का मन्दिर है। यहां का दुसरा प्रसिद्ध मन्दिर नेमिनाथ भगवान का है जिसका निर्माण गुजरात के वसुपाल व तेजपाल ने 1231 मे करवाया।
➤ नक्ली झील – कहा जाता हैं की इस झील का निर्माण देवताओं के नख से हुआ है। यह राज्य की सबसे ऊंचाई पर स्थित झील है। यहां पर टॉडराक-मेंडक के समान आकृती, नन रॉक-घूंघट मे स्त्री, नन्दी रॉक शिव के बैल के समान, पैरट रॉक- तोते के समान, हाथी गुफा, चंपा गुफा व झील के किनारे राज्य का एकमात्र हिल स्टेशन है। झील के किनारे रघुनाथ जी का मन्दिर भी है । इस झील मे गरासीया जाती के लोग अपने पुर्वजो का अस्थि विसर्जन करते है।
➤ गौमुख व वशिष्ठ आश्रम – आबु से 6 मील दुर गौमुख स्थित है। यहां पहुंचने के लिए लगभग 700 सीढीयां नीचे उतरना पडता है । यहां संगमरमर निर्मित गौमुख से निरंतर जल प्रवाहित होता रहता है। यहीं वह अग्निकुंण्ड है जिसके बारे मे कहा जाता है कि मुनि वशिष्ठ ने तपस्या की थी व अग्निवंशी क्षत्रियो को उत्पन्न किया था।
➤ दुध बावड़ी – अर्बुदा देवी मन्दिर की तलहटी मे स्थित इस बावडी के बारे मे यह किवंदीती हैं कि यह बावडी प्राचीन समय मे दुध से भरी रहती थी व ऋषी इसका प्रयोग करते थे।
➤ लख चौरासी – आबु कोर्ट के पास पर्वतीय तलहटी मे एक चट्टान पर मनुष्य के चौरासी लाख योनियो के पदचिन्ह अंकित है।
➤ कला संग्रहालय – 1962 मे एक कला संग्रहालय की स्थापना की गई जिसका उद्घाटन तत्कालीन राज्यपाल सम्पूर्णानंद ने किया।
➤ कसर बिलास – वर्तमान मे इस भवन मे सिरोही का पूर्व राज परिवार रहता है।
➤ कोलरगढ़ – सारणेश्वर से कुछ दुरी पर ही चन्द्रावती के परमार शासको का एक प्राचीन दुर्ग स्थित है जिसे कोलरगढ़ के नाम से जाना जाता है।
➤ लाखेराव झील – 1465 मे इसका निर्माण महाराव लाखा ने करवाया। इसे गुलाब सागर भी कहते है।
➤ बामणवाडजी – सिरोही से 17 किमी. दुर स्थित इस मन्दिर का निर्माण महावीर स्वामी के काल मे पूरणपाल नामक राजा ने करवाया था।
➤ देरीसेऱी – सिराही के राजमहल के निकट स्थित 15 जैन मन्दिरो का कतारबद्ध समुह।
➤ चंद्रावती – परमार राजाओ की राजधानी जहां 1800 मन्दिरो के अवशेष मिले है। यह बनास नदी के किनारे स्थित है।
➧ आर.टी.डी.सी. होटल – शिखर व पुरजन निवास
➽ सर्वाधिक क्षेत्रफल – सौंफ
➽ सर्वाधिक उत्पादन – सौंफ व चीकू
⏩ आधुनिक पालिटेटेक्स – सुती वस्त्र मील, आबु रोड
⏩ मिनी सीमेन्ट कारखाना – आबु रोड
⏩ पिंडवाड़ा सीमेन्ट संयत्र – सिरोही
⏩ हाइटेंशन इंसुलेटर्स -आबु रोड इंजिनियरिंग उद्योग
➠ तांबा – देलवाडा
➠ टंगस्टन – वाल्बा, सिरोही
➠ कैंल्साइट
सहकारी क्षेत्र में इसबगोल संयत्र आबु रोड़ मे स्थापित किया गया है।
➨ जिले का अधिकतम भाग रेगिस्तान है व यहां का एकमात्र पर्वतीय क्षेत्र मांउट आबु है, जो भारत का प्राचीनतम प्रदेश है।
➨ यहां पर भोमट या एकी आंदोलन 1920-21 मे मोतीलाल तेजावत द्वारा भीलो के अधिकारो के लिए चलाया गया।
➨ मोती लाल तेजावत को आदिवासीयो का मसीहा व बावजी नाम से जाना जाता है।
➨ यहां राणा कुम्भा द्वारा निर्मित आबु दुर्ग है जो अचलगढ नाम से भी जाना जाता है।
➨ यहां न्यूनतम सहकारी समितियां है।
➨ राज्य का सबसे आद्र स्थान माउण्ट आबु है।