राजस्थान का इतिहास
![]() |
संत एवं सम्प्रदाय |
-: संत एवं सम्प्रदाय :-
नाथ सम्प्रदाय :-
➥ जोगी जाती व कालबेलिया जाति का संबंध नाथ सम्प्रदाय से है।
➥ नाथ सम्प्रदाय के संत कान फड़वाकर उनमें मुंदरा पहनते है। ऐसे कनफड़े साधुओं को रावल जोगी कहते हैं।
➥ नाथ सम्प्रदाय में सबसे प्रसिद्ध संत गोरखनाथ हुए जो मच्छदरनाथ के शिष्य थे।
➥ नाथ सम्प्रदाय में 9 संत विशिष्ट स्थान रखते हैं जिन्हें नवनाथ कहा जाता है।
➥ नवनाथ – मच्छंदरनाथ, गोरखनाथ, बालकनाथ, घोड़ाचोलीनाथ, कन्थड़नाथ, कणेरीपाव, जालंधरनाथ, हांडीभडंगसनाथ, धुंधलीपाव ।
➥ गोपीचन्द और भृर्तहरि भी नाथ सम्प्रदाय के महत्त्वपूर्ण संत हैं।
➥ भृर्तहरि उज्जैन के राजा थे जिन्होंने गोरखनाथ की प्रेरणा से सन्यास ले लिया।
➥ राजा भृर्तहरि की गुफा पुष्कर (अजमेर) में है।
➥ राजा भृर्तहरि की समाधि सरिस्का अभ्यारण (अलवर) में है।
➥ राजा भृर्तहरि का पैनोरमा अलवर में है।
➥ नाथ सम्प्रदाय के संत शैली – सिंगी धारण करते है।
➥ मारवाड़ रियासत नाथ सम्प्रदाय में आस्था रखती है।
➥ नाथ सम्प्रदाय को मानने वाले सर्वाधिक लोग अलवर जिले में निवास करते हैं।
पाशुपत (लकुलीश) सम्प्रदाय :-
➥ इस सम्प्रदाय की स्थापना दण्डधारी लकुलीश ने की।
➥ राजस्थान में इस सम्प्रदाय की स्थापना हारित ऋषि ने की।
➥ इस सम्प्रदाय की प्रधानपीठ एकलिंगजी मन्दिर(कैलाशपुरी, उदयपुर) है।
➥ एकलिंगजी मन्दिर का निर्माण बप्पा रावल ने किया।
➥ एकलिंगजी को मेवाड़ का राजा माना जाता है। और मेवाड़ के शासक को एकलिंग जी का दीवान माना जाता है।
➥ मेवाड़ रियासत पाशुपत सम्प्रदाय में आस्था रखती है।
कापालिक (कालमखा) सम्प्रदाय :-
➥ इस सम्प्रदाय की स्थापना भूतनाथ जी ने की।
➥ इस सम्प्रदाय में शिव के अवतार भैरूँजी की पूजा होती है।
➥ इस सम्प्रदाय के भैरूँजी के मंदिर श्मशान में होते हैं।
➥ इस सम्प्रदाय की प्रधानपीठ कालभैरव मन्दिर (उज्जैन-म.प्र.) है।
➥ कापालिक सम्प्रदाय के संत नरकपाल की हड्डी में भोजन ग्रहण करते हैं।
➥ श्मशान में रहते हैं।
➥ काले वस्त्र पहनते हैं तथा शरीर पर चिता भस्म रमाते हैं।
➥ इस सम्प्रदाय के संत शराब व मांस का सेवन भी करते हैं।
➥ कापालिक सम्प्रदाय के संतों को अघोरी संत कहते हैं।
➥ राजस्थान में कापालिक सम्प्रदाय के प्रमुख मन्दिर-
A. रीगंस (सीकर)
B. दुजार (नागौर)
C. राजगढ़ (अजमेर)
वैष्णव सम्प्रदाय
-: रामभक्त वैष्णव :-
1. रामानुजी सम्प्रदाय :-
➥ इस सम्प्रदाय की स्थापना रामानुजाचार्य ने की।
➥ राजस्थान में इस सम्प्रदाय की प्रधानपीठ गलता जी (जयपुर) में है।
➥ गलता पीठ की स्थापना कृष्णदास पयहारी ने की।
➥ गलता जी में श्री राम जी को श्री कृष्ण रूप में पूजा जाता है।
2. रामानन्दी सम्प्रदाय :-
➥ इस सम्प्रदाय की स्थापना रामानन्दाचार्य ने की।
➥ राजस्थान में इस सम्प्रदाय की प्रधानपीठ रेवासा (सीकर) में है।
➥ गलता पीठ की स्थापना अग्रदास जी ने की।
➥ रामानन्दी सम्प्रदाय के प्रसिद्ध संत नारायण दास जी त्रिवेणी (जयपुर) को 2018 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।
-: कृष्णभक्त वैष्णव :-
1. वल्लभ (पुष्टीमार्गी) सम्प्रदाय :-
➥ इस सम्प्रदाय की स्थापना वल्लभाचार्य ने की।
➥ राजस्थान में इस सम्प्रदाय की प्रधानपीठ श्रीनाथ जी मन्दिर (नाथद्वारा-राजसमंद) है।
➥ गलता पीठ की स्थापना दामोदर तिलकायत व गोविन्द स्वामी ने की।
➥ श्रीनाथ जी के मन्दिर का निर्माण मेवाड़ के महाराणा राजसिंह प्रथम ने करवाया।
➥ श्रीनाथ जी को विठ्ठलनाथ जी भी कहा जाता है।
➥ किशनगढ़ का राजा सावंतसिंह सन्यास के बाद नागरीदास के नाम से जाना गया। जो वल्लभ सम्प्रदाय का संत था।
➥ वल्लभ सम्प्रदाय के मंदिरो को हवेली कहते हैं।
➥ वल्लभ सम्प्रदाय में श्री कृष्ण के साथ राधा जी की पूजा नहीं होती। बल्कि श्री कृष्ण जी की बालरूप की पूजा होती है।
➥ हवेली संगीत नाथद्वारा चित्रकला शैली और पिछवाई कला का संबंध नाथद्वारा तथा वल्लभ सम्प्रदाय से है।
➥ वल्लभ सम्प्रदाय जी के अन्य मन्दिर –
1. द्वारिकाधीश जी – कांकरोली (राजसमंद)
2. मथुरेश जी – कोटा
3. गोकुल चन्द्र जी – कामां (भरतपुर)
4. मदन मोहन जी – कामां (भरतपुर)
2. निम्बार्क सम्प्रदाय/हंस/सनकादिक :-
➥ इस सम्प्रदाय की स्थापना निम्बार्काचार्य ने की।
➥ राजस्थान में इस सम्प्रदाय की प्रधानपीठ बिहारी जी मन्दिर (सलेमाबाद-अजमेर) है।
➥ सलेमाबाद पीठ की स्थापना परशुराम देवाचार्य ने की।
➥ परशुराम देवाचार्य का जन्म ठिकरिया (सीकर) में हुआ।
➥ बिहारी जी के मन्दिर का निर्माण जयपुर नरेश जगतसिंह ने करवाया।
➥ निम्बार्क सम्प्रदाय में राधा जी को ही सर्वेश्वर माना जाता है। तथा राधे-राधे का अभिवादन करते है।
➥ निर्बाक सम्प्रदाय के अन्य मंदिर –
1. गोपाल जी मंदिर – पलसाना (सीकर)
2. गोपीनाथ जी मंदिर – श्रीमाधोपुर (सीकर)
3. गौडिय सम्प्रदाय :-
➥ इस सम्प्रदाय की स्थापना चेतन्य महाप्रभु ने की।
➥ राजस्थान में इस सम्प्रदाय की प्रधानपीठ गोविन्द देव जी मन्दिर (सिटी पैलेस – जयपुर) है।
➥ गोविन्द देव जी की मूर्ति वृंदावन से जयपुर सनातन गोस्वामी लेकर आए।
➥ गोविन्द देव जी के मन्दिर का निर्माण जयपुर नरेश सवाई जयसिंह ने करवाया।
➥ गोविन्द देव जी को जयपुर का राजा माना जाता है। तथा जयपुर के राजा को गोविन्द देव जी का दीवान माना जाता है।
➥ गौड़िय सम्प्रदाय के अन्य मंदिर : –
1. गोपीनाथ जी मंदिर – पुरानी बस्ती (जयपुर)
2. मदनमोहन जी मंदिर – करौली
-: भक्ति के दार्शनिक सिद्धांत :-
सिद्धांत/वाद | संत |
---|---|
1. अद्वैतवाद | शंकराचार्य |
2. द्वैतवाद | माध्वाचार्य |
3. द्वैताद्वैतवाद | निम्बार्कचार्य |
4. शुद्धाद्वैतवाद | वल्लभाचार्य |
5. विशिष्टाद्वैतवाद | रामानुजाचार्य |
6. अचिन्तयद्वैताद्वैतवाद | चेतन्य महाप्रभु |