राजस्थान में जनजाती आन्दोलन

राजस्थान-में-जनजाती-आन्दोलन

भील आन्दोलन (भोमट आन्दोलन)
Bheel movement (Bhomat movement)
Bheel Aandolan (Bhomat Aandolan)
✔️ भीलों में राजनैतिक तथा सामाजिक जनजागृति लाने का कार्य गोविन्द गिरी द्वारा किया गया ।
गोविन्द गिरी एक परिचय:-
गोविन्द गिरी की रिहाई हुई । इन्होने अपना अंतिम समय गुजरात राज्य के कम्बोई नामक स्थान पर व्यतीत किया ।
भील आन्दोलन में मोती लाल तेजावत का योगदान :-
✔️ भीलों के मसीहा तथा बावजी नाम से विख्यात मोती लाल तेजावत का जन्म 8 जुलाई 1887 को मेवाड़ रियासत की फलासिया तहसील के किलीयारी गाँव में ओसवाल परिवार में हुआ था । ये झाड़ोल ठीकाने के कामदार थे । इन्होने
मीणा आन्दोलन
(Meena movement)
(Meena Aandolan)
✔️ भारत सरकार द्वारा पारित 1924 में क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के तहत जयपुर रियासत के मीणाओं पर जरायम पेशा कानून तथा चौकीदार कानून लगाया गया । मीणा जाती को आदतन अपराधी घोषित कर दिया ।
✔️ जरायम पेशा कानून के अन्तर्गत मीणा जाती के परिवार के सदस्यों को नजदीकी थाने में हाजरी देनी पड़ती थी । अतः इस कानून से मीणा जाती में भारी असन्तोष व्याप्त था । जरायम पेशा कानून की समाप्ति को लेकर जयपुर रियासत के मीणाओं ने आन्दोलन प्रारम्भ किया। 1933 में मीणा क्षात्रिय महासभा का गठन हुआ । सन् 1944 को सीकर में नीम का थाना नामक स्थान पर जैनमुनि संत मगन सागर की अध्यक्षता में जयपुर रियासत के मीणाओं का एक सम्मलेन आयोजित किया गया। इस सम्मलेन में जयपुर राज्य मीणा सुधार समिति की स्थापना हुई जिसका
अध्यक्ष पण्डित बंशीधर शर्मा को बनाया गया । 31 दिसम्बर 1945 को A.I.S.P.C. का छटा अधिवेशन नेहरू जी की अध्यक्षता में राज्य के उदयपुर जिले में आयोजित किया गया । इस अधिवेशन में भी जयपुर रियासत के मीणाओं पर लागू जरायम पेशा कानून हटाने की मांग की गई । मसीहा ठक्कर बाप्पा ने भी तत्कालीन सरकार से जरायम पेशा कानून को हटाने की मांग की ।
✔️ सन् 1945 में जयपुर राज्य मीणा जाती सुधार समिति के संयुक्त मंत्री लक्ष्मीनारायण झरवाल के नेतृत्व में पुरे राज्य में व्यापक आन्दोलन चलाया गया ।
✔️ 3 जुलाई 1946 को एक कानून बनाकर जयपुर रियासत के मीणों को थाने में उपस्थिति देने से मुक्त कर दिया गया।
✔️ 28 अक्टूम्बर 1948 को बागावास नामक स्थान पर चौकीदार मीणों ने अपने को चौकीदारी मीणाओं ने अपने को चौकीदारी प्रथा से मुक्त घोषित कर दिया । 1952 में भारत सरकार द्वारा जरायम पेशा कानून को वापस ले लिया गया ।