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राजस्थान-के-लोकदेवता |
Tallinath Ji
☆ तल्लीनाथ जी मालाणी ठिकाने के शासक मालदेव के भाई थे।
☆ तल्लीनाथ जी के बचपन का नाम गागदेव राठौड़ था ।
☆ तल्लीनाथ जी को तल्लीनाथ नाम इनके गुरू जालन्दर द्वारा प्रदान किया गया ।
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☆ तल्लीनाथ जी का मुख्य स्थल जालौर जिले के पांचोटा गाँव के समीप पंचमुखी पहाड़ के बीच घुड़सवार के रूप में तल्लीनाथ जी की मूर्ति स्थापित है ।
Veer Fattaji
☆ जालौर जिले के साथू गाँव में गज्जराणी परिवार में इनका जन्म हुआ । इनका मुख्य मन्दिर सांथू गाँव में स्थित है।
☆ लूटेरों द्वारा साथू गाँव पर आक्रमण किये जाने के दौरान ये गाँव की मान-मर्यादा के लिये लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए ।
Lord of Rajasthan:-
Beeggaji
☆ जाखड़ जाट समाज इन्हे अपना लोकदेवता मानता है । इनका जन्म बीकानेर जिले में जाट परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम राव महन तथा माता का नाम राव सुल्तानी था।
☆ बीग्गाजी ससुराल की गायों को मुस्लिम लूटेरों से युद्ध में बचाते समय युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए।
Baba Jhoojhar Ji
☆ इनका जन्म सीकर जिले के नीम का थाना क्षेत्र के इमलोहा नामक स्थान पर राजपूत परिवार में हुआ । ये मुस्लिम लूटेरों से युद्ध करते हुए स्यालोदड़ा गाँव के पास अपने दो सगे भाईयों के साथ वीरगति को प्राप्त हुए। तथा पास से गुजरती हुई बारांत के दूल्हा-दुल्हन भी मारे गये। वर्तमान में पाँचों की स्मृति में स्यालोदड़ा नामक गाँव में इनकी प्रस्तर की मूर्तियां स्थापित है ।
☆ प्रतिवर्ष रामनवमी को स्यालोदड़ा में झुंझार जी का मेला लगता है |
Panraj Ji
☆ इन्हे गायों की रक्षा के लिये पूजा जाता है । इनका जन्म जैसलमेर जिले के नगा नामक स्थान पर क्षेत्रीय परिवार में हुआ ।
☆ पनराज जी काठोड़ी गाँव के ब्राह्मण परिवार की गायों को सिन्ध के लूटेरे मुस्लिमों से छुड़ाते समय वीरगति को प्राप्त हुए ।
☆ वर्ष में दो बार पनराजसर गाँव में इनका मेला आयोजित होता है ।
Sant Mavaji
☆ इनका जन्म माघ शुक्ल पंचमी को डूंगरपुर जिले की आसपुर तहसील के साबला गाँव में 1771 में हुआ ।
☆ मावजी के पिता का नाम दालम ऋषि तथा माता का नाम केसर बाई था ।
☆ ये गायें चराते समय कृष्ण का रूप बना कर नाचते थे ।
☆ मावजी ने निष्कलंक सम्प्रदाय की स्थापना की ।
☆ मावजी की पुत्रवधू जनकुमारी ने बेणेश्वर धाम में सर्वधर्म समन्वयवादी नामक मन्दिर 1882 में बनवाया, इसमें प्रवेश द्वार जैन मन्दिर जैसा गोमटी बौद्ध मन्दिर जैसी और मीनारें मस्जिद जैसी तथा आकार गिरजाघर जैसा और मूर्तियाँ हिन्दूओं की विष्णु की स्थित है ।
☆ मावजी का मेला बेणेश्वर में माघ शुक्ल पूर्णिमा को लगता है | संत मावजी द्वारा रचित प्रमुख ग्रन्थ न्याव, दाणलीला, कालिंगा हनन, भुंगल पूराण, अक्लरमण, ज्ञान भण्डार, चौपड़ा, बारेमासा आदि है ।
Mehaji Mangliya
☆ मेहाजी मांगलिया मारवाड़ के पंचपीरों में से एक है । पश्चिमी राजस्थान में मांगलिया राजपूतों द्वारा इन्हे सर्वाधिक पूजा जाता है ।
☆ मेहाजी मांगलिया जैसलमेर के राणंगदेव भाटी के साथ युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए ।
☆ मेहाजी मांगलिया का मुख्य मन्दिर बापणी जोधपुर में स्थित है । जहाँ प्रतिवर्ष कृष्ण जन्माष्टमी को विशाल मेला आयोजित होता है ।
☆ लोक मान्यता है कि मेहाजी मांगलिया की पूजा करने वाले भोपा (सेवक) की वंशवृद्धि नहीं होती है ।
☆ महाजी मांगलिया के घोड़े का नाम किरड-काबरा था ।
Iloji
☆ इलोजी को मारवाड़ में छेड़छाड़ के लोकदेवता के रूप में पूजा जाता है ।
☆ ऐसा माना जाता है कि इलोजी की पूजा करने पर अविवाहितों का विवाह हो जाता है । इनकी बांझ स्त्रियां पूजा करती है जिससे सन्तान पैदा होती है, जबकि ये अविवाहित थे ।
☆ इलोजी की पूजा कुंकुम तथा रोली से की जाती है ।
Bhooriya Baba
☆ भूरिया बाबा मीणा जाती के इष्ट देव माने जाते है । इनका मन्दिर सुकड़ी नदी के किनारे नाणा स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर स्थित है ।
☆ रामदेवजी का जन्मदिन “बाबे री बीज” नाम से जाना जात है, एवं इनके चमत्कारों को पर्चा कहा जाता है ।
☆ पाबूजी के पावड़े माठ वाद्ययंत्र के के साथ रेबारी गाते है, एवं इनकी फड़ रावणहत्था वाद्ययंत्र के साथ नायक भोपे गाकर सुनाते है ।
☆ पाबूजी के अनुयायियों में साढ़े तीन फेरे लेने की परम्परा पाई जाती है ।
☆ मारवाड़ में ऊट लाने का श्रेय पाबूजी को जाता है ।
☆ आशिया मोड ने “पाब प्रकाश” ग्रन्थ की रचना की है ।
☆ लोक देवता गोगाजी अपने भाई अर्जन एवं सर्जन सहित महमूद गजनवी से युद्ध करते समय मारे गये ।
☆ देवनारायण जी ने नीम की पत्तियों से पूजा का विधान कर औषधी के रूप में नीम के महत्व को पुनः स्थापित किया ।