राजस्थान का एकीकरण
(Rajasthan ka Ekeekaran)
(Integration of Rajasthan)

राजस्थान-का-एकीकरण

➡️कोटा, गोकुल लाल➡️असावा (प्रधानमंत्री)
+ आबू देलवाड़ा अजमेर+मेरवाड़ा+सुनेलटप्पा(कोटा के सिरोंज क्षेत्र को छोड़कर)➡️जयपुर, मोहन लाल सुखाड़िया (प्रधानमंत्री)
प्रमुख पौराणीक स्थल : एक नजर
(Pramukh Poraneek Sthal : Ek Najar)
(Major Mythological Sites: A Look)
✔️ लव-कुश की जन्म स्थली व राम के साथ उनके युद्ध की साक्षी बारां जिले में स्थित सीताबाड़ी नामक स्थान को माना जाता है । ऐसा भी कहा जाता है कि राम के परित्याग के बाद सीता ने अपना निर्वाह जीवन इस स्थान पर वाल्मिकी आश्रम में बीताया था ।
✔️ पाण्डवों ने बनवास के दौरान कुछ समय बांसवाड़ा जिले के घोटिया-अम्बा में गुजारा था । इस स्थान पर पाण्डवों ने कृष्ण भगवान की सहायता से 88,000 ऋषियों को भोजन दिया था । इन्द्र द्वारा पाण्डवों को दी गई आम की गुठली को पाण्डवों ने यहां पर रोपा था । इस स्थल पर आज भी आम का पेड़ लगा हुआ है ।
✔️ अलवर जिले में स्थित पांडू पोल का सम्बन्ध पाण्डवों से है, यहां भीम ने अपना गदा मारकर अपना रास्ता निकाला था। नाथ पन्त के महान योगी व उज्जैन के राजा भर्तृहरी ने अपने अंतिम दिन अलवर में जिस स्थान पर गुजारे उसे भृर्तहरी नाम से जाना जाता है । यह स्थल कनफड़े नाथों का प्रमुख स्थल है ।
✔️ गायत्री देवी की जन्मस्थली के नाम से विख्यात पुष्कर हिन्दुओं का पाँचवा तीर्थस्थल कहलाता है । इस स्थान पर विश्वामित्र ने तपस्या की थी । इसी स्थान पर भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का पिण्डदान किया था ।
✔️ परशुराम महादेव राजसमन्द जिले में स्थित है । ऐसा माना जाता है कि परशुराम ने अपनी माता का वध करने के बाद इस स्थान पर गुफा में भगवान महादेव की आराधना की थी ।
✔️ ऐसा माना जाता है कि शकुन्तला ने अपना बाल्यकाल व किशोरावस्था कोटा जिले के कसुआ नामक स्थान पर व्यतित की थी, यहीं पर कण्व ऋषि का आश्रम स्थित है ।
✔️ ऐसा माना जाता है कि माउन्ट आबू के अम्बाजी नामक स्थान पर कृष्ण भगवान का मुण्डन संस्कार हुआ था एवं अम्बाजी के मन्दिर से ही रूकमणी हरण हुआ था ।
✔️ मध्यकाल में नील के उत्पादन का महत्वपूर्ण केन्द्र बयाना था । यहां से गुप्तवंशीय शासकों के सर्वाधिक सिक्के मिले है । इसका प्राचीन नाम श्रीपंथ या शोणितपुर है ।
✔️ पाली जिले में निम्बों का नाथ स्थल पर पाण्डवों की माता कुंती शिव भगवान की पुजा किया करती थी ।
✔️ माना जाता है कि भगवान परशुराम ने अपनी माता की हत्या करने के बाद चित्तौड़गढ़ जिले के मातृकुण्डिया में स्नान किया था । इसे राजस्थान का हरिद्वार कहते है । मातृकुण्डिया को राशमी नाम से भी जाना जाता है ।
✔️ लंकापति रावण का विवाह मन्दोदरी के साथ मण्डोर जोधपुर में हुआ था । ऐसा माना जाता है कि मण्डोर नाम रानी मन्दोदरी के नाम पर पड़ा है ।
✔️ अचलेश्वर महादेव मन्दिर माउन्ट आबू में स्थित है । यहां शिवलिंग के स्थान पर शिव का अंगुठा है ।