कोटा
उपनाम – राजस्थान का नालंदा, राज्य की शैक्षणिक नगरी, आद्योगिक नगरी, उद्यानो का नगर, राजस्थान का कानपुर व नन्दग्राम
– यहां स्थित अबलामीणी के महल को हाड़ोती का ताजमहल कहते है।
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परिचय
स्थान विशेष
➤ चम्बल उद्यान – चम्बल नदी के तट पर प्राकृतिक व मौलिक रूप में विकसित उद्यान ।
➤ भीमचौरी/भीम चंवरी – यह एक चबुतरे पर बना मंदिर है जो वर्तमान मे ध्वस्त हो चुका है। इस चबुतरे को भीम का मण्डप भी कहा जाता है।
➤ चारचौमा का शिवालय – कोटा के इतिहासकार डा. मथुरालाल ने इसे कोटा का सबसे पुराना शिवमंदिर बताया है। मंदिर मे शिव की चर्तुमुखी
मुर्ति स्थित है।
➤ मथुराधीश मंदिर – कोटा के पाटनपोल के निकट वल्लभाचार्य सम्प्रदाय के प्रथम महाप्रभु की पीठ यहां पर ही है।
➤ लक्खी बुर्ज उद्यान – 1976 में विकसित यह एक सीढीनुमा उद्यान है जो छत्र विलास तालाब के किनारे स्थित है।
➤ भीतरीया कुण्ड – यह शिवपुरा में एक शिव मंदिर में बना आर्कषक कुण्ड है।
➤ कोटा शैली – कोटा शैली में नीले रंग एंव खजूर वृक्ष तथा बतख, शेर आदि पशु पक्षी की प्रधानता थी। कोटा शैली का स्वतंत्र अस्तित्व स्थापित करने का श्रेय महारावल रामसिंह को जाता है।
➤ दर्रा अभ्यारण्य – हाल ही मे इस अभ्यारण्य को राष्ट्रीय उद्यान परियोजना मे शामिल करने की घोषणा की गई है। इसका वर्तमान मे नाम मुकुन्दरा हिल्स नैशनल पार्क रखा गया है। इसी अभ्यारण्य के तिपटिया नामक स्थान पर प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र प्राप्त हुए है।
➤ हाड़ौती यातायात प्रशिक्षण पार्क – किशोरो को यातायात नियमो की जानकारी देने के लिए बनाया गया यह पार्क राज्य में अपने तरह का पहला पार्क है।
➤ मुकुन्दरा हिल्स राष्ट्रीय उद्यान – कोटा व झालावाड़ मे स्थित इस पार्क में राज्य का एकमात्र गुप्तकालीन मंदिर है। जिसे मुकुंदरा भीमचोरी का शिवमंदिर कहा जाता है यहाँ पर गागरोनी तोता पाया जाता है। यह राज्य का तीसरा टाइगर रिजर्व है। 9 जनवरी 2012 को इसे राष्ट्रीय उद्यान
का दर्जा दिया गया।
➤ कोटा सुपर तापीय थर्मल पावर स्टेशन – यह चम्बल के किनारे कोटा बैराज के निकट विद्युत परियोजना है।
➤ क्षारबाग – इस स्थान पर दिवंगत हाड़ा शासको के शाही श्मशान व छतरीयां है।
➤ रंगपुर – यहां पर सुर्याचम्बल पावर लि. नामक बॉयोमास संयत्र है। यहीं पर कोटा गैंस परियोजना के तहत 330 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाता है। यहां का पंचायतन शैली से बना बुढादित का शिव मन्दिर विशेष आकर्षण का केन्द्र है।
➤ चम्बल घड़ियाल अभ्यारण्य – चम्बल नदी के तट पर प्राकृतिक व मौलिक रूप से विकसित किया गया उद्यान जो घड़ियालो व डॉल्फिन के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध स्थल
➤ गडेपान – चम्बल फर्टिलाइजर्स एण्ड कैमिकल इण्डस्ट्रिीज के लिए जाना जाता है।
➤ अभेड़ा महल – चम्बल के किनारे स्थित ऐतिहासिक महल व उद्यान।
➤ कंसुआ – कण्व ऋषि का आश्रम रानपुर- यंहा पर राज्य का पहला एग्रोफुड पार्क स्थापित किया गया है।
➤ तिपटिय – यह 50 हजार साल पुरानी चित्रशैली है।
➤ मोड़क – यहां पर सीमेंट कारखाना है तथा यह क्षेत्र चुने पत्थर के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
➤ रामगंज मण्डी – यहां पर राज्य की धनिया मण्डी है।
➤ सांगोद – सांगोद का न्हाण प्रसिद्ध है।
➤ कैथुन – यहां पर विभिषण जी का एकमात्र मंदिर है तथा निजी क्षेत्र की कृषि मण्डी “श्री हनुमान कृषि उपज परिसर” है जो आस्ट्रेलिया के सहयोग से तैयार की गई है। यहां का कोटा डोरीया कलस्टर भी बहुत प्रसिद्ध है।
➤ प्रमुख बांध परियोजनाए – कोटा बैराज, ज्वाहर सागर बांध, गोपालपुरा बांध, आलनिया बांध, तक्ली/टक्ली परियोजना, सावन भादो परियोजना, हरिश्चन्द्र सागर परियोजना।
होटल- आर.टी.डी.सी. होटल – चम्बल
✪प्रमुख उत्सव – हाड़ौती एडवेंचर व दशहरा महोत्सव
✪ प्रमुख हवेली – झाला व बड़े देवता की हवेली, नाहर खां की मीनार, बड़गांव की बावड़ी
✪ प्रमुख अभ्यारण्य – चम्बल घड़ियाल अभ्यारण्य व ज्वाहर सागर अभ्यारण्य दर्रा/मुकुंदरा राष्ट्रीय उद्यान
✪ आखेट निषिद्ध क्षेत्र – सोरसेन
कृषि विशेष-
★ सर्वाधिक क्षेत्रफल वाली फसलें – लहसुन
★ सर्वाधिक उत्पादन वाली फसलें – लहसुन, संतरा, अमरूद, अफीम मैथी
उद्योग-
➥ सुती वस्त्र मील – श्री गोयल इण्डस्ट्जि , सुर्दषन टेक्सटाइल
➥ सीमेंट उद्योग – यहां के श्रीरामनगर में राज्य का सबसे कम सीमेंट उत्पादक कारखाना है।
➥ गडेपान कोटा में रसायनिक खाद का कारखाना है।
➥ यहां के कुण्डी नामक स्थान पर सिलिका रेत के भण्डार मिले है।
➥ राज्य में इन्द्रप्रस्थ आद्योगिक क्षेत्र भी कोटा में ही है।
➥ राजस्थान केबल्स इण्डस्ट्रिीज सेमकोर ग्लास लि. स्थित है।