✫ स्थापना – 1488
✫संस्थापक – राय बीका
✫ प्राचीन नाम – जांगल प्रदेश, रातिघाटी

Bikaner District Jila Darshan

➥ बीकानेर का प्राचीन नाम जांगल प्रदेश था।
✪ राव बीका – इन्होनें 1465 में जांगल प्रदेश को जीतकर 1488 में बीकानेर की स्थापना की।
✪ करण सिंह – इनके काल में 1644 में इतिहास प्रसिद्ध मतीरे की राड़ हुई, जिसे इन्होने नागौर के शासक अमरसिंह से जीता।
✪ करणी माता – देशनोक में इनका प्रसिद्ध मंदिर है। इन्हें बीकानेर के शासको की आराध्य देवी माना जाता है। ये चुहो वाली माता के नाम से भी जानी जाती है। इन्होने देशनोक की स्थापना की थी। इनके मंदिर में पाए जाने वाले चुहे काबे कहलाते है।
✪ कपिल मुनि – कोलायत में सांख्यिकी दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का आश्रम स्थित है।
✪ कांता खतुरिया – ये राजस्थान लोक सेवा आयोग की पहली महिला सदस्य व पूर्व अध्यक्षा है।
✪ संदीप आचार्य – इन्होने इंडियन आयडल 2 का खिताब अपने नाम किया था।
✪ इलाही बख्श – इनके द्वारा बनाया गया महाराजा गंगासिंह का उस्ता चित्र UNO के कार्यालय में स्थित है।
✪ विमला कौशिक -यहां की विमला कौशिक पानी वाली बहन जी के नाम से जानी जाती है जिन्होने बुंद बुंद जल बचाने की जनजागृती गांव गांव मे जाकर फैलाई।
✪ मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौड – जिन्होनें 28 वें आँलम्पिक खेलो मे रजत पदक जीता। ये राज्य के खेल मंत्री रह चुक है तथा केन्दीय मंत्री के रूप में भी सेवाएं दे चुकें है।
✿ लालगढ दुर्ग – इसे महाराजा गंगासिंह ने अपने पिता लालसिंह की स्मृति में बनवाया था।
✿ अहिछत्रपुर – जांगल प्रदेश की राजधानी।
✿ लुणकरणसर – खारे पानी की झील के कारण प्रसिद्ध।
✿ मुकाम – नोखा तहसील में स्थित यह स्थान बिश्नोई सम्प्रदाय का प्रमुख आस्था का स्थल है। यहां पर गुरू जम्भेश्वर जी महाराज का समाधि स्थल है जिस पर वर्ष में दो बार विशाल मेलो का आयोजन होता है।
✿ देशनोक – यह करणी माता के मंदिर के लिए चर्चित स्थल हैं। यहां पर चैत्र सुदी प्रतिपदा से दशमी तक तथा आश्विन सुदी प्रतिपदा से दशमी तक नवरात्रो में विशाल मेलो का आयोजन होता है । यह स्थान काबो (चुहों) के लिए जाना जाता है। यह चारणों का प्रमुख आस्था केंद्र है।
✿ कोलायत – यह स्थान कपिल मुनि के आश्रम व पवित्र सरोवर के कारण जाना जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की दशमी के बाद गुरू पूर्णिमा तक यहां लगातार मेले का आयोजन होता है। गुरू पुर्णिमा को सरोवर में दीपदान किया जाता है।
✿ कतरियासर – जसनाथ जी सम्प्रदाय का उत्पति स्थल।
✿ पलाना बरसिंहसर – लिग्नाईंट आधारित ताप विद्युत ग्रह व परियोजना।
✿ पूगल – पूगल नस्ल की भेड़ का उत्पति स्थल व अनुसंधान केंद्र है।
✿ जोहड़बीड़ – केन्दीय ऊँट अनुसंधान केंद्र यहां पर स्थित है।
✿ डाडाथोरा – यहां से लघु पाषाण कालीन अवशेष मिले है।
✿ रानेऱी – लिंग्नाइट आधारित देश का निजी क्षेत्र का प्रथम बिजली उत्पादन संयंत्र।
✿ सिंहथल – यहां संत हरिरामदास जी द्वारा स्थापित रामस्नेही सम्प्रदाय का आराध्य स्थल है।
✿ बिसरासर – देश की सबसे बडी जिप्सम उत्पादक कम्पनी यहां है।
✿ गजनेर – गजनेर अभ्यारण्य बटबड़ पक्षी जिसे रेत का तीतर भी कहते है के कारण प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां पर गजनेर झील व जेठामुठा पीर की दरगाह दर्शनीय स्थल है।
✿ झाज्झर – निजी क्षेत्र की सबसे बडी जोजोबा प्लोटेशन योजना।
✿ भांडाशाह / भण्डेश्वर जैन मन्दिर – जैन मुनी सुमितनाथ का प्रसिद्ध मन्दिर जिसकी नींव मे घी का प्रयोग किया गया था।
✿ कोडमदेसर बावडी – यह पश्चिमी राजस्थान की प्राचीनतम बावडी है जिसे रणमल की पत्नि कोडमदे ने बनवाया।
✿ अलख सागर – यह बीकानेर का सबसे बडा व अच्छा कुंआ है।
✿ मोरखाणा – यहां सुराणो की कुलदेवी सुखाणी देवी का मन्दिर है ।
❂ उस्ताकला – ऊंट की खाल पर चित्राकन करना उस्ता कला कहलाता है। यह कला मुलत: लाहौर की है जिसे राज्य मे बीकानेर के शासक अनुपसिंह द्वारा लाया गया। उस्ताकला का प्रसिद्ध कलाकार हिस्सामुदीन उस्ता को माना जाता है जिनकी वर्तमान मे मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान मे उस्ताकला का प्रसिद्ध कलाकार मो. हनीफ उस्ता है।
❀ हैरिटेज होटल – लक्ष्मीनिवास होटल
❀ आर.टी.डी.सी. होटल – ढोलामारू
नोट – पर्यटन विभाग द्वारा संचालित व नियंत्रित होटल आर.टी.डी.सी. की श्रेणी मे आते है।
⏩ मुल्तानी मिटटी, बेन्टोनाइट आदि अन्य खनिज जो यहां सामान्यत: पाए जाते है।
⇰ क्षेत्रफल की दृष्टि से अधिक – ग्वार , मुंगफली व पानमैथी
⇰ उत्पादन की दृष्टि से अधिक – चना, ग्वार, मुंगफली व पानमैथी
⇉ ऊंट महोत्सव – पर्यटन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष इसका आयोजन करवाया जाता है।
➤ 1465 मे राव बीका ने जांगल प्रदेश जीतकर 1488 मे बीकानेर शहर को बसाया।
➤ राजस्थानी भाषा साहित्य व संस्कृती अकादमी यहां पर स्थित है।
➤ यहां पर राजस्थान राज्य अभिलेखागार स्थित है।
➤ यहां पर विश्व का सबसे बडा संयुक्त शस्त्र प्रशिक्षण सुविधा केन्द्र है।
➤ सन्त तारकीन की दरगाह यहां विशेष श्रद्धा का केन्द्र है।
➤ देवी कुण्ड की छतरीयां यहां पर ऐतिहासिक महत्व का स्थल है।
➤ बच्छावतो की हवेली व रामपूरिया हवेली यहां के निर्माण कौशल का प्रतीक है।
➤ केमल मिल्क डेयरी यहां पर स्थित है।
➤ बेर व खजुर अनुसंधान केन्द यहां स्थित है।
➤ यहां स्थित एयरपोर्ट को नाल एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है।
➤ उतरी राजस्थान मिल्क युनियन लि. बीकानेर मे है।
➤ कांच क्षेत्र मे सिरेमिक पार्क की स्थापना यहां पर की गई है।
➤ ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला व गलिचा प्रशिक्षण केन्द्र तथा एशिया की सबसे बडी ऊन मण्डी बीकानेर मे है।
➤ आयल इण्डिया ने पूनम नामक स्थान पर तेल क्षेत्र की खोज नागौर व बीकानेर बेसीन मे की है ।
➤ बीकानेर का जनसंख्या घनत्व 78 है जो जैसलमेर के बाद दुसरा सबसे कम घनत्व है। यह न्युनतम जनजातीय जनसंरव्या वाला जिला है।
➤ ऊंट को राज्य पशु का दर्जा देने के लिए 30 जुन 2014 को यहां बैठक हुईं व 19 सितम्बर 2014 को दर्जा दिया गया।
➤ बीकानेरी ऊंट को बोझा ढोने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है।
➤ यहां होने वाली बूर घास से आसवन विधि द्वारा सुगन्धित तेल बनाया जाता है।
➤ यहां एक भी नदी नही है।
➤ यहां के ऊनी कालीन विश्व प्रसिद्ध है।
➤ यहां राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय स्थित है।
➤ प्रसिद्ध कपिल मुनि का मेला कार्तिक मास की पूर्णिमा को कोलायत में भरता है।
➤ बरसिंगसर पलाना मे लिग्नाइट कोयले से बिजली बनाई जाती है।
➤ राजस्थान की सबसे बडी जेल बीकानेर मे है।
➤ अलख सागर बीकानेर का सबसे बडा व प्राचीनतम कुआ है।
➤ राज्य मे गलीचा बनाने की पहल बीकानेर मे ही हुई थी।
➤ बीकानेर का गजनेर महल तीतरो के लिए प्रसिद्ध हैं।