भरतपुर
उपनाम – राजस्थान का प्रवेशद्वार, जलमहलो की नगरी, फव्वारो को नगरी – डीग, भरतपुर।
परिचय –
➥ भरतपुर की स्थापना जाट सरदार बदन सिंह के द्वारा 18वीं सदी में की गई।
➥ भरतपुर का विस्तार बदनसिंह के उत्तराधिकारी सुरजमल के समय में हुआ।
➥ सुरजमल को जाटो का अफलातुन भी कहते है।
➥ ये प्लेटो के उपनाम से भी जाने जाते है।
➥ इनके द्वारा ही भरतपुर की मोती झील का निर्माण करवाया गया था जिसे भरतपुर की जीवन रेखा के नाम से भी जाना जाता है।
➥ सुरजमल ने ही लोहागढ दुर्ग का निर्माण करवाया जो अपनी अभेदता के कारण जाना जाता है।
➥ लोहागढ दुर्ग पर अंग्रेज जनरल लार्ड लेक ने पांच बार चढाई की परन्तु असफल रहा।
➥ लोहागढ दुर्ग के उतरी द्वार अष्ट धातु से बने है जिन्हे महाराजा ज्वाहरसिंह दिल्ली अभियान के दौरान दिल्ली से लाए थे
➥ इससे पहले अकबर द्वारा ये दरवाजे चितौडगढ से दिल्ली ले जाए गए थे।
➥ भरतपुर हमेशा से जाट शासको की राजधानी रहा है।
➥ भरतपुर की आकृती गिलहरी के समान है।
➥ भरतपुर का बम / बमरसिया, चरकुला तथा हुरंगो नृत्य प्रसिद्ध है।
➥ यहां पर सेवर मे सरसो व राई अनुसंधान केन्द्र भी स्थापित है जिसकी स्थापना 20 अक्टूबर 1993 में की गई।
➥ भरतपुर का बयाना किला बादशाह दुर्ग व विजयगढ के नाम से प्रसिद्ध था जिसे शोणितपुर नाम से जाना जाता था।
➥ मार्च 1948 को भरतपुर, अलवर, धौलपुर व करौली को मिलाने से मत्स्य संघ बना जो 1949 में वृहद राजस्थान व 1950 में सयुक्त राजस्थान बना।
➥ भरतपुर का लोक नृत्य नौटंकी है।
➥ यहां पर नीबुं, बेर व आलु का उत्पादन अत्यधिक मात्रा में होता है।
➥ यह लिंगानुपात मे सर्वाधिक वृद्धी वाला जिला है।
➥ यहां का मुख्य खनिज सिलिका रेत है।
➥ 13 जुन 2014 को भरतपुर को नगर निगम का दर्जा मिला।
➥ भरतपुर मे पहला जैव उर्वरक कारखाना है।
➥ यहां का बारेठ नगर कोकुण्ड नदी के किनारे पर स्थित है।
➥ यंहा पर जसवंत मेला, जामा मस्जिद, गंगा मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, बंध बारेठा अभ्यारण्य, किशोरी महल एवं रूपारेल नदी पर स्थित सीकरी बांध मुख्य आकर्षक का केन्द्र है।
➥ ख्याल गीत यंहा अत्यधिक प्रसिद्ध है।
➥ सांसी जनजाति सर्वाधिक भरतपुर मे पाई जाती है।
➥ जैव उर्वरक का सबसे पहला कारखाना भरतपुर मे खोला गया।
स्थान विशेष
➥ केवलादेव उद्यान –
- भरतपुर मे यह पक्षी बिहार के नाम से भी जाना जाता है।
- यहां शीतकाल मे युरोप, अफगानिस्तान, चीन, मंगोलिया तथा रूस आदि देशो से पक्षी आते है।
- 1982 मे इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ है व अब यह विश्व धरोहर सुची मे शामिल है।
- यह उद्यान स्वर्णिम त्रिकोण पर स्थित है।
- यही पर आँपरेशन राजहंस सफेद सारस को बचाने के लिए चलाया गया।
- साइबेरियन सारस के लिए यह स्थान प्रसिद्ध है।
- इसे पक्षियो के लिए स्वर्ग उपनाम से जाना जाता है।
- यंहा पर अजान बांध व गोवर्धन ट्रेन परियोजना से जलापूर्ति की जाती है।
➥ बयाना –
- डच यात्री फ्रेंको इ.पेलसर्ट ने 1618 ई मे बयाना की यात्रा की तथा कहा की मध्ययुग मे बयाना उच्च किस्म की नील की उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
- बयाना मे इब्राहिम लोदी द्वारा निर्मित लोदी मीनार है।
- यही पर प्रसिद्ध उषा मंदिर है जो मस्जिद के रूप मे भी काम मे लिया जाता है।
➥ यहां के कुछ अन्य प्रसिद्ध स्थल निम्न है- भीम लाट, बयाना दुर्ग जिसे सुल्तान कॉट व बिजयमंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
➥ बैर – इसे बाग – बगीचो का कस्बा कहा जाता हैं।
➥ यंहा पर वैर का महल व फुलवाडी महल अन्य आकर्षक का केन्द्र है।
➥ रूपवास – यह स्थान अकबर की आखेट स्थली के रूप मे प्रसिद्ध है। यहां पर अकबर के मृगया महल है। बसन्ती पशु मेला भी यहां पर आयोजित होता ह।
➥ कामां – यंहा का गंगा दशहरा मेला, व गोकुंलचन्द्र जी का मंदिर जो पुष्टिमार्गीय वैष्णव सम्प्रदाय से संबधित है। यहां पर भोजन बारी/थाली परिक्रमा का विषेश महत्व है।
➥ डीग – यह प्राचीन समय मे भरतपुर की राजधानी रही है। इसे जलमहलो की नगरी उपनाम से जाना जाता है। यंहा पर जवाहर प्रदर्शनी, ब्रजयात्रा मेला ब गोपाल महल जहां पर शाहजहां का सिंहासन है व अन्य प्रसिद्ध स्थान है।
➥ खानवा – खानवा के रूपवास तहसील में 1527 में बाबर ब राणा सांगा के मध्य युद्ध हुआ जिसे खानवा के युद्ध के रूप मे भी जाना जाता है।
➥ नगला जहाज – इस स्थान पर देवबाबा का मंदिर है ।
➥ बुर्ज – यह महाराजा ज्वाहर सिंह कीं दिल्ली बिजय का प्रतीक है ।
➥ जवाहर नोह – यहां पर खुदाई से पांच सांस्कृतिक युगो के अवशेष एक टीले से प्राप्त हुए है । यंहा पर 1700 वर्ष पुरानी पक्षी चित्रित इंटे प्राप्त हुई है ।
➥ भरतपुर नहर परियोजना – इसका निर्माण 1964 मे करवाया गया । इसे यमुना नदी की आगरा नहर से निकाला गया है । इसकी कुल लम्बाई 28 किलोमीटर है व राज्य मे इसकी लम्बाई 12 किमी. है । इस नहर से पुर्वी राजस्थान को सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है ।
➥ प्रमुख बाँध परियोजनाएं – शाही बांध, सेवर बांध, भरतपुर नहर परियोजना. गुड़गांव नहर परियोजना व मदान बांध।
➥ प्रमुख झीलें – मोती झील व सुजानगंगा झील।
➥ प्रमुख महोत्सव – ‘ब्रज महोत्सव व डीग महोत्सव।
➥ आर.टी.डी.सी. होटल – सारस।
➥ बैर – इसे बाग – बगीचो का कस्बा कहा जाता हैं।
➥ यंहा पर वैर का महल व फुलवाडी महल अन्य आकर्षक का केन्द्र है।
➥ रूपवास – यह स्थान अकबर की आखेट स्थली के रूप मे प्रसिद्ध है। यहां पर अकबर के मृगया महल है। बसन्ती पशु मेला भी यहां पर आयोजित होता ह।
➥ कामां – यंहा का गंगा दशहरा मेला, व गोकुंलचन्द्र जी का मंदिर जो पुष्टिमार्गीय वैष्णव सम्प्रदाय से संबधित है। यहां पर भोजन बारी/थाली परिक्रमा का विषेश महत्व है।
➥ डीग – यह प्राचीन समय मे भरतपुर की राजधानी रही है। इसे जलमहलो की नगरी उपनाम से जाना जाता है। यंहा पर जवाहर प्रदर्शनी, ब्रजयात्रा मेला ब गोपाल महल जहां पर शाहजहां का सिंहासन है व अन्य प्रसिद्ध स्थान है।
➥ खानवा – खानवा के रूपवास तहसील में 1527 में बाबर ब राणा सांगा के मध्य युद्ध हुआ जिसे खानवा के युद्ध के रूप मे भी जाना जाता है।
➥ नगला जहाज – इस स्थान पर देवबाबा का मंदिर है ।
➥ बुर्ज – यह महाराजा ज्वाहर सिंह कीं दिल्ली बिजय का प्रतीक है ।
➥ जवाहर नोह – यहां पर खुदाई से पांच सांस्कृतिक युगो के अवशेष एक टीले से प्राप्त हुए है । यंहा पर 1700 वर्ष पुरानी पक्षी चित्रित इंटे प्राप्त हुई है ।
➥ भरतपुर नहर परियोजना – इसका निर्माण 1964 मे करवाया गया । इसे यमुना नदी की आगरा नहर से निकाला गया है । इसकी कुल लम्बाई 28 किलोमीटर है व राज्य मे इसकी लम्बाई 12 किमी. है । इस नहर से पुर्वी राजस्थान को सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है ।
➥ प्रमुख बाँध परियोजनाएं – शाही बांध, सेवर बांध, भरतपुर नहर परियोजना. गुड़गांव नहर परियोजना व मदान बांध।
➥ प्रमुख झीलें – मोती झील व सुजानगंगा झील।
➥ प्रमुख महोत्सव – ‘ब्रज महोत्सव व डीग महोत्सव।
➥ आर.टी.डी.सी. होटल – सारस।