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कृषि एवं खाद्य प्रबंधन |
प्रस्तावना (INTRODUCTION)
Full details of AGRICULTURE AND FOOD MANAGEMENT:-
➥ यदि हम स्वतंत्रता से पूर्व की अवधि को देखें या उससे बाद के समय को तो पाएँगे कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है।
👉 भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव (Impact of Globalization on Indian Agriculture)
➥ यह तथ्य लोगों की उस बड़ी संख्या से प्रमाणित होता है, जो अपनी जीविका के लिए इस क्षेत्र पर निर्भर हैं।
➥ भारतीय कृषि के बारे में चर्चा करने से पहले इसकी कुछ विशेषताओं पर गौर करना आवश्यक है-
- मौद्रिक दृष्टि से देखें तो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इसका योगदान 17.4 प्रतिशत है। वित्तीय वर्ष 1950-51 में यह हिस्सा 55.4 प्रतिशत था।
- इस प्रकार राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान घट रहा है, वहीं औद्योगिक तथा सेवा क्षेत्रों का योगदान निरंतर बढ़ता जा रहा है, लेकिन आजीविका के लिए देश की 49 प्रतिशत जनसंख्या कृषि क्षेत्र पर निर्भर है।
- इस कारण से यह औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्रों से अधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र है (नेपाल तथा तंजानिया में क्रमशः 93 प्रतिशत तथा 81 प्रतिशत जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर है)।
- इसका अर्थ यह है कि भारत की 49 प्रतिशत जनसंख्या देश की सकल आय के मात्र 17.4 प्रतिशत से अपना गुजारा कर रही है।
- यह तथ्य स्पष्ट करता है कि देश में कृषि पर निर्भर करने वाले लोग गरीब हैं।
- विकसित अर्थव्यवस्थाओं, जैसे-संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्राँस, नॉर्वे, इंग्लैंड तथा जापान में कृषि क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में मात्र 2 प्रतिशत का योगदान है तथा मात्र 2 प्रतिशत जनसंख्या ही अपनी आजीविका के लिए इस क्षेत्र पर निर्भर है।
- कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था का न केवल सबसे बड़ा क्षेत्र है बल्कि सबसे मुक्त निजी क्षेत्र भी है। यह एकमात्र व्यवसाय है, जिस पर व्यक्तिगत आय कर का भार अभी भी नहीं है।
- यह भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा असंगठित क्षेत्र है। कृषि असंगठित क्षेत्र के कुल श्रम बल के 90 % से भी अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करती है (भारतीय अर्थव्यवस्था के कुल श्रम-बल का 93.4 प्रतिशत अर्थात् 39.8 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में संलग्न हैं)।
- भारत कुछ उत्पादनों के मामले में महत्वपूर्ण कृषि-निर्यातक देश के तौर पर उभरा है, जो हैं- कपास, चावल, गिरी, तेल, मसाला, चीनी, वगैरह।
- डब्ल्यूटीओ (World Trade Organisation) के वाणिज्यिक आंकड़ों के अनुसार, 2016 में दुनिया में भारतीय कृषि निर्यात व आयात क्रमशः 2.40 प्रतिशत और 1.46 प्रतिशत थे। 2009-10 में कृषि निर्यात कृषि जीडीपी का 7.95 प्रतिशत था, जो 2016-17 में बढ़कर 12.5 प्रतिशत हो गया। इसी समय में, कृषि आयात भी कृषि जीडीपी का 4.90 से बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गया।
- विशेषज्ञों के अनुसार कृषि का भारत के औद्योगिक विकास तथा राष्ट्रीय आय से गहरा संबंध है- यदि कृषि उत्पादन में 1 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो परिणामस्वरूप औद्योगिक उत्पादन में 0.5 प्रतिशत तथा राष्ट्रीय आय में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
- 1940 के दशक के अन्त में औद्योगिक क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख प्रेरक शक्ति (Prime Moving Force) के रूप में चुना गया था, लेकिन बाजार के अभाव के कारण यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था को पर्याप्त संवेग नहीं दे पाया।
- लोगों के आय में वृद्धि नहीं हो पाई, जिसमें अधिकांश कृषि पर निर्भर थे। औद्योगिक क्षेत्र की इस विफलता को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2002 में कृषि क्षेत्र को अर्थव्यवस्था की प्रमुख प्रेरक शक्ति के रूप में चुना।’
- यदि भारत के कुल निर्यात में कृषि क्षेत्र के योगदान में 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई हो तो इस क्षेत्र को प्रवाहित होने वाली मुद्रा लगभग 8500 रुपये परिकलित की गई है।’
- 2017-18 में अनाज उत्पादन के रिकॉर्ड 277.49 मिलियन टन करने का अनुमान है, जो 2015-16 के कुल उत्पादन (252.23 मिलियन टन) से सात प्रतिशत अधिक होगा।
- दुनिया की तुलना में भारत में कई फसलों का उत्पादन घटा है। हालांकि, यह स्थिति धीमी गति से सुधर रही है।
- चावल, गेहूं और दालों का उत्पादन 2007-08 में क्रमशः 2202 किलोग्राम, 2900 किलोग्राम और 625 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर था, जो 2016-17 में बढ़कर क्रमशः 2395 किलोग्राम, 2875 किलोग्राम (2011-13 के 3026 किलोग्राम से गिरकर) और 744 किलोग्राम प्रति हेक्टयर हो गया।’
- कम-से-कम 66.1 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र अपनी सिंचाई के लिए अनियमित मानसून पर निर्भर करता है।